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नारी नर की कल्याणी By हर्ष 'देव' | Connected Indian

Female male Kalyani

Written by Harsh Dev


नारी नर की कल्याणी 

हर घर के आंगन की तुलसी 

भार्या भगिनी सौकांक्षिणी 

जननी जनक ध्रुव प्रहलाद की।


तपस्या अहिल्या की 

त्याग मदालसा सी बनी 

पूज्या जनक नंदिनी सी

प्रेम पूजारन राधा बृजबाला सी।


भारती के आंगन की 

कनक नसेनी सी तुलसी

वह लाडली लली किसान की 

खेत खलिहान की तुलसी। 


एक आंगन की भगिनी 

दूसरे आंगन की भार्या 

हर घर के वैभव विलास की 

उत्थान ऊतंग सी धारणा।


नव पथ गामी बनी विहंग गरुड़ सी

साहस में अग्नि की ज्वाला

सरिता सी शीतलता आंचल की 

सहनशीलता शक्ति मैं धरनी सी।


समाज के गरिमा गौरव की गाथा 

हर रचना में निपुणता 

परंपरा और संस्कृति को 

सहेजती गढ़ती देती नई धारा।

                                —हर्ष 'देव'

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